माली जाट इतिहास mali jat gotra
माली एक जाट गोत्र के रूप में देखा जाता है। यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा अफगानिस्तान में भी मिल जाता है।
इतिहास में इस गोत्र का वर्णन मल्ल या मालव जाट के रूप में मिलता है। यह एक चन्द्रवंशी गोत्र माना जाता है। एक समय था यह गोत्र बहुत ही शक्तिशाली था। रामायणकाल में भी हमें इस गोत्र का वर्णन मिलता है। सुग्रीव ने वानर सेना को सीता की खोज के लिए पूर्व दिशा में जाने का आदेश दिया । उसने इस दिशा के मालव राज्य में जाने का वर्णन भी मिलता है। भरत जी लक्षमणपुत्र चन्द्रकेतु के साथ मल्ल देश में गए और वहां चन्द्रकेतु के लिए सुन्दर नगरी चन्द्रकान्ता नामक बसाई जो कि उसने अपनी राजधानी बनाई। महाभारत के काल में भी इसका उल्लेख मिलता है कि मालवों ने महाराज युधिष्ठिर को राजसूय यज्ञ में अनमोल उपहार भेंट किए थे। जानकारी के अनुसार मालव क्षत्रिय महाभारत के युद्ध में पाण्डवों और कौरवों दोनों की ओर से लडे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय मालव वंशियों के दो अलग अलग राज्य थे। पाण्डवों की दिग्विजय में भीमसेन ने पूर्व दिशा में उत्तर कोसल देश को जीतकर मल्लराष्ट्र के अधिपति पार्थिव को अपने अधीन कर लिया। इसके पश्चात् बहुत देशों को जीतकर दक्षिण मल्लदेश को जीत लिया। कर्णपर्व में मालवों को मद्रक, क्षुद्रक, द्रविड़, यौधेय, ललित्थ आदि क्षत्रियों का साथी बतलाया है। slovenska-lekaren.com
इतिहास की पुस्तकों से ज्ञात हो होता है कि पाणिनि ऋषि ने इन लोगों को आयुधजीवी क्षत्रिय लिखा है। बौद्ध काल में मालवों (मल्ल लोगों) का राज्य चार स्थानों पर था। उनके नाम हैं – पावा, कुशीनारा, काशी और मुलतान। जयपुर में नागदा नामक स्थान से मिले सिक्कों से राजस्थान में भी इनका राज्य रहा था ऐसा पता चलता है। इसके अलावा भी कई जगह सिक्के प्राप्त हुए है जिससे पता चलता है कि ये 205 से 150 ई० पूर्व के समय के है। उन पर मालवगणस्य जय लिखा मिलता है। जानकारी के अनुसार सिकन्दर के समय मुलतान में ये लोग विशेष स्थान रखते थे। ये काफी शक्तिशाली और बहादुर थे। मालव क्षत्रियों ने सिकन्दर की सेना का वीरता से सामना किया और यूनानी सेना के दांत खट्टे कर दिये। सिकन्दर की एक बडी सेना होते हुए भी मालवा जाटों से मुश्किल से जीत हासिल कर सका।
उस समय मालव लोगों के पास 90,000 पैदल सैनिक, 10,000 घुड़सवार और 900 हाथी थे। मैगस्थनीज ने इनको मल्लोई लिखा है और इनका मालवा मध्यभारत पर राज्य होना लिखा है। मालव लोगों के नाम पर ही उस प्रदेश का नाम मालवा पड़ा था। वहां पर आज भी मालव गोत्र के जाटों की बड़ी संख्या है। सिकन्दर के समय पंजाब में भी इनकी अधिकता हो चुकी थी। इन मालवों के कारण ही भटिण्डा, फरीदकोट, फिरोजपुर, लुधियाना के बीच का क्षेत्र (प्रदेश) मालवा कहलाने लगा। इस प्रदेश के लगभग सभी मालव गोत्र के लोग सिक्खधर्मी हैं। ये लोग बड़े बहादुर, लम्बे कद के, सुन्दर रूप वाले तथा खुशहाल किसान हैं। सियालकोट, मुलतान, झंग आदि जिलों में मालव जाट मुसलमान हैं। मल्ल लोगों का अस्तित्व इस समय ब्राह्मणों और जाटों में पाया जाता है। कात्यायन ने शब्दों के जातिवाची रूप बनाने के जो नियम दिये हैं, उनके अनुसार ब्राह्मणों में ये मालवी और क्षत्रिय जाटों में माली कहलाते हैं, जो कि मालव शब्द से बने हैं। पंजाब और सिंध की भांति मालवा प्रदेश को भी जाटों की निवासभूमि एवं साम्राज्य होने का सौभाग्य प्राप्त है।
महात्मा बुद्ध के स्वर्गीय (487 ई० पू०) होने पर कुशिनारा (जि० गोरखपुर) के मल्ल लोगों ने उनके शव को किसी दूसरे को नहीं लेने दिया। अन्त में समझौता होने पर दाहसंस्कार के बाद उनके अस्थि-समूह के आठ भाग करके मल्ल, मगध, लिच्छवि, मौर्य ये चारों जाट वंश, तथा बुली, कोली (जाट वंश), शाक्य (जाट वंश) और वेथद्वीप के ब्राह्मणों में बांट दिये। उन लोगों ने अस्थियों पर स्तूप बनवा दिये मध्यप्रदेश में मालवा भी इन्हीं के नाम पर है।
मालव वंश दो शाखा गोत्र भी मिलते है जिसमें सिद्धू और बराड के रूप में जानते है।
Villages founded by Mali clan
Rulyana Mali (रुल्याणा माली) – village in Laxmangarh tahsil in Sikar district in Rajasthan.
Distribution in Rajasthan
Villages in Churu district
Chhapar (22), Bhimsar (Sujangarh)
Villages in Hanumangarh district
Dhaban (Sangaria), Hanumangarh,
Villages in Nagaur district
Noond,
Villages in Sikar district
Fakirpura, Ringas, Rulyanamali, Sangalia, Sewad Badi, Sikar,
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Bhopal district
Bhopal,
Villages in Hoshangabad district
Chapara Garhan,
Villages in Harda district
Khirkiya,
Notable persons
Late Magharam Jat Mali: Former member of Nagarpalika Chhapar Churu three times,
Har Narain Jat
Ram Niwas Jat Mali – From Khirkiya. Amature Kabbadi Federation of India appointed him as national Empire.
Rajvir Singh Chaudhari (Mali): Soil Scientist, Krishi Vigyan Kendra, Chandgothi, Churu, Swami Keshwanand Rajasthan Agricultural University, Bikaner