पंवार जाट pawar jat history
जाट जागरण की खास पेशकश में हम आज आपको रूबरू कराते है पंवार जाट गोत्र से । आपको बता दें कि पंवार जाट गोत्र एक चन्द्रवंशी गोत्र के रूप में जाना जाता है। अगर पंवार जाट गोत्र के लोगों की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो इतिहास में एक राजा हुए है राजा पुरू। इन्होंने मालवा में राज किया है। यहीं राजा पुरू पंवार गोत्र के सबसे पहले पुर्वज के रूप में गिने जाते है। अगर हम इतिहास में झांक कर देखे तो हमें पता चलता है कि राजा भोज भी इसी पंवार गोत्र के सबसे प्रसिद्ध राजा हुए है। लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जगदेव पंवार सबसे महत्वपूर्ण राजा हुए है पंवार गोत्र में । समय के साथ साथ पुरू वंश के जाट पुरूवाल, पोरसवाल व पौडिया नाम से जाने गए। लेकिन समय समय पर इस गोत्र के कुछ लोग राजपूत संघ में मिल गए जिसके कारण राजपूतों में भी हमें पंवार गोत्र मिलता है। लेकिन कुछ कारणों से राजपूतों में मिले कुछ पंवार लोग मुसलमान बन गए। यहीं कारण है कि पंवार आज राजपूत व मुसिलमों में भी मिलते है। हां समय के अनुसार गोत्र के नाम का उच्चारण कुछ अलग मिलता है लेकिन इतिहास की नजर से देखे तो ये सभी पंवार गोत्र के लोग चाहें वे मुस्लिम हो या फिर राजपूत एक ही राजा की संतान है।
हमने अभी तक जितने भी जाट गोत्र का इतिहास देखा है तो पता चलता है कि वह किसी ना किसी राजा से उत्पन्न हुआ है । पंवार गोत्र का इतिहास भी कुछ ऐसा ही है लेकिन इस गोत्र का सबसे पहला राजा मंजुदेव को माना गया है। अगर इस गोत्र के क्षेत्र की बात करें तो खैबर घाटी के बारे में पता चलता है।
आपको बता दें कि पंवार गोत्र के उपगोत्र शाखाएं भी मिलती है जिनका वर्ण इस प्रकार से है
मोहन पंवार उप गोत्र – यह शाखा पंजाब के कुछ गॉवो में निवास करते है जो मुख्य रूप से पंवार ही है और पंवारो के साथ विवाह सम्बन्ध नहीं करते है
मौण पंवार- मौण गोत्र पंवार की एक उप-शाखा है. काफी समय पहले शेरखां खेड़ी गांव की मौणी देवी सत्ती हो गयी थी. इस कारण यहां के लोगों ने अपने आप को मौण लिखना शुरु कर दिया. इनका मूल गोत्र पंवार है. शेरखां खेड़ी और मटौर गॉव – जिला कैथल में मौण गोत्र के जाट आबाद हैं
खड़वान पंवार -यह पंवार गोत्र कि उप शाखा है जो खड़क सिंह के नाम पाए खड़वान कहलाते है यह गोत्र खंडार तहसील जिला सवाई माधोपुर और कोटा जिले में निवास करता है
लोह्चब पंवार – यह गोत्र अब कुछ जगहो पर अलग गोत्र बन चूका है और पंवार गोत्र में शादी करने लगा है मुगल काल में पंवार जाट अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे वो दुश्मन को लोहे के चने चबा देते थे यानि वो दुश्मन को युद्ध में हरा देने में माहिर थे इसलिए उनको लोहचब उपाधि मिली जो बाद में एक गोत्र बन गया है
यह लोहचब पंवार दिल्ली में बामड़ौली ,औचंदी गॉव में और हरियाणा में सोनीपत के झिंझोली,कतलुपुर और झज्जर के बुपणियां ,शाहपुर में निवास करता है राजस्थान के नागौर और सीकर में भी लोहचब पंवार निवास करते है
पचार – यह पंवार का बिगाड़ा रूप है जो मथुरा जिले में उधर,आयरा खेड़ा,दुलेटियाँ,खेरिया,बहावीन गॉव में निवास करता है इस गोत्र के गॉव राजस्थान में बहुत संख्या में है जो नागौर बाड़मेर , बीकानेर टोंक जिलो में है इस गोत्र कि शादी अब पंवारो में होती है।
अगर हम पंवार गोत्र के लोगों की कुलदेवी की बात करें तो कुछ ज्यादा स्पष्ट नहीं है लेकिन हमें जानकारी मिली है कि नागौर जिले में कुछ पंवार जाट बाडमेर से आकर बसें है । ये लोग साठिका की बीस भुजा माता को अपनी कुलदेवी को अपनी कुलदेवी के रूप में जानते है।
जबकि वहीं दूसरी ओर आबुका पंवार गोत्र से संबंध रखने वाले एक अशोक भाई राजस्थान से आकर एमपी के धार जिले में रह रहें है। यहां इनकी चौथी पीढि निवास कर रही है ये लोग अपनी कुलदेवी आबूगढ की गढकाली मां को बताते है।
अगर आप भी पंवार है तो हमें बताए कि आपकी कुलदेवी क्या है ताकि रिसर्च कर हम पता कर सकें कि स्पष्ट रूप से पंवार जाटों की कुलदेवी कौन है।
अगर बात करें हम पंवार खाप की तो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में पंवार गोत्र की खाप पंचायत मौजूद हैं। यह खाप पांच गावों ककडीपुर, ऐलम, नाला, भारसी व भनेडा गांव से मिलकर बनी है। हमें रिसर्च से पता चला है कि शामली जिले में सबका और भंसवाल गांव के पंवार जाट चैहान वंशी लाकडा खाप के गांव रामलला, असारा, कीरथल, लूंबा व टूगाना गांव के रिश्ते में भाई लगते है जिसके कारण इनमें आपसी शादी के रिश्ते नहीं होते।
पंवार गोत्र के कुछ गॉव
उत्तर प्रदेश – मुज्जफरनगर,शामली सहारनपुर, जिलों में पंवार गोत्र के गांव
टिकरौल(सहारनपुर),भनेड़ा, सबगा, दोघट, कान्घड़, नगौड़ी, जटौली, ककड़ीपुर, , एलम(आलम) , छासीपुर बेजलपुर ,बढेड़ी,नाला, भैसवाल, डोगर,गन्देवड़ा ,घासीपुरा ,, ककड़ीपुर , खेड़ीगंज , मादलपुर , नंगली महासिंह , ओलीमाजरा , पीनना,राजपुर छाजपुर, राझड़ , सबका ,मोलाहेड़ी ,पंवार खेड़ा ,
मेरठ जिले में
सकौटी ,
बागपत जिले में
भारसी ,सुनहेड़ा ,भगवानपुर ,बसी,
पेंगा(गाजियाबाद ),रोली कलां (गाजियाबाद )
बुलंदशहर जिले में
बुटाना
हरियाणा में
चन्दौली(पनीपत), खचरौली(झज्जर ),किरमरा(हिसार ),कैमला(करनाल ) मलाड (जींद ),इंद्री और कालियका ( नूह तहसील जिला मेवात )
मेवात जिले में कुछ पंवार मुस्लिम मेव भी है जो अपना पूर्वज जाट को मानते है जो पल्ला तहसील नूह जिला मेवात में है और झिरका(मेवात ) के नसीरबास ,राजाका में भी पंवार मुस्लिम है
शेरखां खेड़ी और मटौर गॉव – जिला कैथल में मौणपंवार गोत्र के जाट आबाद हैं
राजस्थान में गॉव
गोकलपुरा ,बोरुंदा ,और कुछ गॉव में पंवार जाट है
पाकिस्तान में भी पंवार गोत्र के जाट मिलते है।
1911 की एक जनगणना के अनुसार पंजाब के डेरा गाजी खान जिले में 866 व भावलपुर में 7702 मुस्लिम पंवार जाट थे। ये क्षेत्र भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान में चले गए है।