बालयान/ बाल्यान/बालवंश जाट गोत्र
बालयान जाट वंश का इतिहास बहुत ही प्राचीनतम रहा है क्षेत्रों तथा भाषाओं की विभिन्नता के कारण इस गोत्र के नाम में भी विभिन्नताए हैं। कहीं इसे बालयान कहीं बाल्यान या कहीं बालवंश के नाम से जाना जाता है।
भारत के 36 राज्य वंशों में यह बालयान राजवंश भी एक महत्वपूर्ण राजवंश था
महाभारत आदि पर्व के 66 वें अध्याय के अनुसार दक्ष प्रजापति की 13 कन्याओं का विवाह सूर्यवंशी कश्यप महर्षि के साथ हुआ।
दक्ष प्रजापति की 13 विवाहिता पुत्री में से एक का नाम दिति था और इस दिति और कश्यप ऋषि का एक पुत्र हुआ जिसका नाम हिरण्यकश्यप था।
हिरण्यकश्यप के पुत्र का नाम प्रहलाद था आगे इसी प्रहलाद का एक पुत्र हुआ जिसका नाम बली पड़ा और इसी बली के नाम पर बाल वंश का नाम बालयान बाल्यान अथवा बालवंश प्रचलित हुआ
भारत के अनेक महत्वपूर्ण राजवंशों में से बालयान अथवा बाल्यान राजवंश भी एक महत्वपूर्ण राजवंश था जिसके पराक्रम का प्रमाण हमें अनेक ऐतिहासिक घटनाओं कहानियों शिलालेख से प्राप्त होता है ।
इन्हीं राजा बलि को बालयान गोत्र का प्रवर्तक माना जाता है।
इतिहास के विभिन्न घटनाओं से यह प्रमाण प्राप्त होता है की संवत 527 से 814 संवत तक इस वंश का शासन गुजरात में माही नदी से नर्मदा तक विस्तृत था।
आगे जाकर इसी बाल वंश में एक वीर पुरुष भटर्क का उत्थान हुआ जो सम्राट स्कंद गुप्त की सेनाओं में मुख्य सेनापति था परंतु जब संवत 526 के आसपास गुप्त वंश अस्त हो गया तत्पश्चात संवत 527 में इस वीर पराक्रमी बाल वंश पुत्र भटार्क ने अपने वंश के नाम पर बल्लभपुर राज्य की स्थापना की जो बला नाम से भी प्रचलित था।
“कार्पस इंस्क्रिशंस इंडिकेर” ३/१६९ के उल्लेख अनुसार विक्रम संवत 559 मे लिखे हुए एक शिलालेख द्वारा यह प्रमाणित होता है कि राजा भटार्क के 4 पुत्र थे जिनका नाम धरसेन, ध्रुवसेन, द्रोण तथा धरपट था।
जिन्होंने क्रमशह महासामन्त, महा प्रतिहार,महादंड नायक तथा महाकार्ता कृतिक महाराज की उपाधि धारण की।
ह्यूनत्सांग के अनुसार ध्रुवसेन द्वितीय इस बालयान वंश का अंतिम शासक राजा कन्नौज के सम्राट हर्षवर्धन का दामाद था।
यह राजा ध्रुवसेन द्वितीय बौद्ध धर्म का बहुत बड़ा अनुयायी था तथा संवत 700 में प्रयाग बौद्ध महासभा के अधिवेशन की सफलता में इसका बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान था। राजा ध्रुवसेन द्वितीय के दरबार में एक महा कवि थे जिनका नाम भट्टी था जिन्होंने भट्टी महाकाव्य की रचना की थी।
इस ध्रुव से नृत्य के पश्चात ध्रुव सेन तृतीय, खरग्रह द्वितीय, शिलादित्य तृतीय, चतुर्थ पंचम षष्ठ,सप्तम शिलादित्य क्रमशः राज्य राज्याधिकारी हुए।
विभिन्न ताम्रपत्र सिक्कों शिलालेखों से इस बात का प्रमाण मिलता है कि इस स्कूल के राजा शैव धर्मानुयायी थे। तथा इनमें से कुछ ऐसे भी राजा हुए जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
अभिलेखों तथा ऐतिहासिक प्रमाणों से इस इस बात का पता चलता है कि यह वंश कला कौशल तथा विद्या के क्षेत्र में परिपूर्ण थे।
चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार बालवंश की इस राजधानी को 6000 बौद्ध भिक्षुओं का आश्रम तथा विद्या और धन का घर कहा जाता है।
अरब शासक हशाब इब्न अलत धलवी के सेनापति आबरूबिन जमाल ने गुजरात पर चढ़ाई कर इस बालवंशी राज्य को समाप्त कर दिया।
इसके पश्चात बल भी राज्य का एक पुत्र गुहाआदित्य मेवार पर आक्रमण कर अपने नाना को मारकर उसके राज्य पर अपना आधिपत्य स्थापित कर वहां का राजा बन बैठा। इस कारण बलवंत की एक नई शाखा गुहिल अथवा गहलौत सिसोदिया का प्रचलन हुआ।
बाल वंशी का मुख्यतया भूल स्थान पंजाब था कुछ बाल वंशी सिंध की ओर तथा कुछ सीमा प्रांत की ओर और कुछ ऊंचे स्थान पर जा बसे।
उत्तर प्रदेश में बालवंशी जाट गोत्र की अच्छी आबादी बसी हुई है उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बाल वंशी को बालान, बाल्यान, बालयान के नाम से जानते हैं और यहां इनका एक बड़ा जनपद बसा हुआ है उत्तर प्रदेश में कई ऐसे गांव है जहां इनकी स्थिति बहुत ही समृध है।
एक बल वंशी लाहौर से आकर सिसौली नाम का गांव बसाया जहां इस बलवंत सिंह के वंशज बहुत ही प्रभावशाली व समृद्ध है। फिर बाद में इसी गांव के नंद नाम का एक व्यक्ति अपने ही नाम पर एक गांव बसाया जिसका नाम नंद की सिसौली है।
एक शोरम गांव है और इस गांव में भी इनकी अच्छी जनसंख्या बसी हुई है।
इस गोत्र के लगभग एक सौ गांव हैं जिनमें सीसौली एक प्रमुख गांव है तथा यह गांव बाल्यान या बालियान गोत्र के गांव में प्रधान गांव माना जाता है इस सिसौली गांव के अलावा सौसम,बरवाल, हरसौली इत्यादि अनेक गांव है।
इस सिसौली गांव को विक्रम संवत 845 में विजयराज द्वारा बसाया गया था इसी विजयराज के पूर्वजों ने वल्लभीपुर नाम का एक नगर बसाया था जिसका बहुत ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व है।
इस वंश के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व की बात करें तो ऐसे कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व है जिन्होंने अपने कार्य से इस बालयान बाल्यान अथवा बालियान वंश की गरिमा को शीर्ष स्थान दिलवाया है।
१. स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत—यह इस गोत्र अथवा वंश के प्रभावशाली तथा मेहनती नेता रहे और यह किसान यूनियन के अध्यक्ष पद पर आसीन होकर किसानों के लिए अनेक तरह के संघर्ष किए, बालयान गोत्र के वंशजों में इनको बहुत ही प्रतिष्ठा के साथ याद किया जाता है।
२. डॉ अशोक कुमार बाल्यान—-यह मुख्य मानव संसाधन विकास तथा ओएनजीसी के निदेशक रहे।
३. कृष्णपाल बाल्यान—अध्यक्ष मीरा कुमार के ओएसडी दिल्ली
४. डॉक्टर कॉल सिंह—–हॉट ड्रोन के पूर्व एमडी।
५. चौधरी उत्तर सिंह—-यह राष्ट्रीय इंटर कॉलेज शाहपुर के प्रथम सचिव व संस्थापक है साथ ही यह ग्राम पंचायत शोरों के पूर्व सरपंच रहे।
६. माननीय श्री न्यायमूर्ति वेदपाल—-यह इलाहाबाद हाईकोर्ट में लखनऊ बेंच के न्यायाधीश है।
७. विवेक कुमार सिंह—-यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता है।
८. श्री अजय कुमार सिंह—यह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश है।
९. श्री विनय सिंह—यह आइडिया प्रीपेड सर्विस के प्रबंधक है।
१०. तेजवीर सिंह बाल्यान—यह पूर्व आईएसएस है।
११. हरि जी सिंह —यह बल्यान गोत्र के आठवीं शताब्दी के बहुत ही वीर तथा पराक्रमी पुरुष है।
१२. सज्जन सिंह बल्यान—-यह महाराष्ट्र सतार के शासक थे।
१३. कृष्णपाल बाल्यान—यह उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर डिस्टिक के हरसोली के रहने वाले हैं इन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी में शिक्षा पूरी की और संसदीय सेवाओं में शामिल हो गए।
१४. नरेश कुमार बाल्यान—बीजेपी सांसद
१५. चौधरी काबुल सिंह—-यह एक जाट इतिहासकार है।
१६. एके बाल्यान—-एन आई पी एम के अध्यक्ष है।
१७. दमन चंद—-15 वीं शताब्दी में यह राजा वीर सिंह के सेनापति रहे अपने नाम के अनुसार या बहुत ही वीर योद्धा थे।
१८. डॉ किरण बालियान—-यह बहुत ही प्रसिद्ध प्रख्यात शोध विद्वान तथा वैज्ञानिक है।
१९. बृजपाल सिंह—-यह भारतीय लघु और माध्यम उद्योग के लिए भारत सरकार द्वारा रत्न पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं यह खाद्य प्रसंस्करण इकाई के पूर्व मुख्य कार्यकारी रहे।
२०. श्री जेपी बाल्यान।
२१. किरण पाल सिंह—यह इंटर कॉलेज शाहपुर जिला मुजफ्फरनगर के सचिव रह चुके हैं यह सामाजिक कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है अतः सामाजिक कार्य के लिए यह एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं।
बालवंश जाट गोत्र के विस्तार की बात करें तो इनका विस्तार संपूर्ण भारतवर्ष में कुछ इस प्रकार है—-
पंजाब
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१. पटियाला जिला—सलेमपुर बालियान यह पटियाला जिला के पटियाला तहसील में बसा गांव है।
२. संगरूर जिला—-धुरी तहसील का बलियान गांव
राजस्थान
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१. टोंक जिला—-अरण्य कंकड़ गांव
२. बाड़मेर जिला—–बलियान गांव
३. सीकर जिला—–सुरानी गांव
४. जयपुर—-सांगानेर
हरियाणा
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१. यमुनानगर—–हरनौल
२. झज्जर जिला—-गुढ़ा, माजरी, रोहण
३. सोनीपत जिला—-मेहलाना गांव
४. रेवाड़ी जिला—-रांसी माजरी गांव
दिल्ली
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१. ताजपुर
२. नवादा
बिहार
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१. पटना जिला—चौरा पटना
बिहार के भी कुछ जिले हैं जहां इस जाट गोत्र के गांव है।
मध्य प्रदेश
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१. नीमच जिला—-नीमच
२. रतलाम जिला—-रतलाम
३. भोपाल जिला—-यहां भी बाल्यान जाट गोत्र के लोग पाए जाते हैं।
४. मंदसौर जिला—-मंदसौर,थौरी
५. गुना जिला—–विजयपुर
उत्तर प्रदेश
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१. मुजफ्फरनगर—-अटाली,
अलवालपुर माजरा, बहादुरपुर गढ़ु, बरवाला,माजू, भानेदा जट मोरा खुर्द मोरा कलान,दौलत पुर माजरा, धिन्धवली, धुलहरा, गोहरानी, मुजफ्फरनगर इत्यादि।
२. बरेली जिला—-रथ गांव
३. बुलंदशहर—–भनस्रोली नासीरपुर, बिचौली, बुलंदशहर, भोपाल, बोन्दरा, छातूरिया, खैरपुर, लोहार लोहारका, सहजाद पुर, सीकरी, बुलंदशहर
४. अलीनगर—अटारी अलीनगर, बरेरा उर्फ, बिसरा, दरगवा, मनोहरपुर, सहारनपुर, मीरापुर,सीतापुर,सुहागन
५. हापुर जिला—-भटैल, खगोई
६. मेरठ जिला—-बहादुरपुर मेरठ, दौलारा
७. बिजनौर—-नांगल जाट, रसीदपुर घड़ी, शाह नगर
८. शामली जिला—-भानेरा जाट, जाजपुर सिमम् लका, यारपुर
१०.हरिवारजिला—-दहियाकी, ल्लिब्बरहेर