विघन बाधाओं से जो घबराता नहीं
भाग्य पर निर्भर रहकर जाट कभी पछताता नहीं
काम कितना ही कठिन हो अकुलाता नहीं
भीड़ पडऩे पर भी जाट भय खाता नहीं
होता है एक आन में इसका बुरा दिन भी भला
सब जगह सब काल में जाट रहता है फला फूला
करना होता है काम कल, भय उसको आज ही
सोचता है जो कुछ भी जाट कर दिखाता है वही
मानता अपनी सदा है सुनता है सबकी कही
मदद करता है जाट इस जग में अपने आप ही
भूल कर भी यह दूसरे का मुंह कभी तकता नहीं
सिद्धि को पाए बिना ये जाट रुक सकता नहीं
सेबी अपनी भूमि का बार बार पछताए
जाट पराई भूमि को मारे ओर खा जाए।