
उपलब्धियों के बावजूद अभी तक बनी है अर्जुन अवॉर्ड से दूरी
नई दिल्ली। आपको जाट होने पर गर्व है। आपको हरियाणा से होने पर गर्व है। लेकिन कभी कभी आपको इसका खामियाजा भी भुगतना होता है। क्षेत्रीय राजनीतिक गलियारों व जातिवाद के चक्रव्यूह में फंसकर आपको अपने जीवन के महत्वपूर्ण पलों का बलिदान देना भी पड़ सकता हैं। ताजा उदाहरण है अंतरराष्ट्रीय भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान दीपिका दहिया का। एक सीनियर खिलाड़ी होने के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की झोली में मेडल लाने के बाद भी उन्हें अब तक अर्जुन अवॉर्ड के लिए नहीं चुना गया। इस बार भी अर्जुन अवॉर्ड के लिए नाम चयनित किया गया उनकी जूनियर खिलाड़ी नार्थ-ईस्ट की चिंगलेनसाना सिंह का। इसका कारण शायद यह है कि खेल मंत्री किरण रिजिजू भी नार्थ-ईस्ट से आते है। इसी कारण अनुभव, काबिलियत व नियमों पर क्षेत्रवाद हावी होने का आरोप लगाया गया हैं। कुछ इसी प्रकार की स्थित आंदोलन के लिए जाट भाईयों को सजा होने में भी दिखाई देती है जहां अन्य राज्यों में होने वाले आंदोलनों में भाग लेने वाले लोगों तो तो माफ कर दिया जाता है लेकिन लेकिन जाटों की राजनीतिक ताकत को तोडऩे के लिए जाट भाईयों को जाट आंदोलन के लिए सजा हो रही हैं।
पिछले साल पहलवान बजरंग पूनिया को खेलरत्न नहीं मिलने पर अवॉर्ड कमेटी पर भेदभाव के आरोप लगे थे। हर बार काबिलियत पर कुछ ना कुछ हावी हो जाता है जिसके कारण जाट समाज के नौजवानों को इसका खामियाजा भुगतना होता है।
दीपिका दो बार सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का सम्मान हासिल कर चुकीं हैं। ओलिंपिक एवं एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता रहीं हैं। दीपिका का कहना है कि वह इस बारे से दुखी नहीं है कि उनकी जूनियर को अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुना गया लेकिन दुख इस बात का है कि अर्जुन अवॉर्ड के लिए तय नियमों पर वे खरी उतरती हैं। टीम की सीनियर खिलाड़ी है अनुभव है, काबिलियत हैं। फिर ऐसा क्या कारण है कि उनके देश के लिए समर्पण को खारिज कर किसी जूनियर खिलाड़़ी को अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुना जाता हैं। शायद उपलब्धियों पर क्षेत्रवाद कहीं ना कहीं हावी हो जाता हैं।
दीपिका के पति विक्रम दहिया ने बताया कि दीपिका ने भारत की राष्ट्रीय टीम का करीबन १० साल से हिस्सा बनकर देश को पदक दिलवाने का काम किया। उन्होंने हमेशा परिवार से ज्यादा अपने खेल ओर देश को अहमियत दी लेकिन पिछले कुछ सालों से जिस प्रकार से उनकी काबिलियत व उपलब्यिों को दरकिनार किया जा रहा है उससे दुख होता हैं। तथा उनके देश प्रेम, समर्पण, व खेल भावना पर प्रश्र चिन खड़ा होता हैं जो कि काफी दुखद हैं।
उपलब्धिया
पांच बार नेशनल में गोल्ड मेडल मिल चुका हैं
महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान।
रियो ओलंपिक में प्रतिभागिता।
एशियाई खेलों की रजत पदक।
2014 में डिफेंडर ऑफ द ईयर अवॉर्ड
2015 में प्लेयर ऑफ द इंडिया अवॉर्ड
३ बार एशियाई खेलों में प्रतिनिधित्व
240 अंतरराष्ट्रीय मैचों का अनुभव
वल्र्ड हॉकी लीग में स्वर्ण पदक
इटली टेस्ट सीरिज में स्वर्ण पदक
चैंपियंस लीग में गोल्ड मेडल
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