
शिक्षक के साथ प्रेरणा का स्रोत है डॉ जेपी दलाल
“जो पत्थर से देव तराशे
कंकड़ को रत्न बना दे…
जिसकी मिट्टी की मूरत भी बालक को एकलव्य बना दे…
जिसके शुभाशीष से जीवन का सफर शुरू है..
जो आये भगवान से पहले
उसका नाम गुरु है… गुरु है”।।
हमारे यहां कहते है कि गुरू और शिक्षक का स्थान माता पिता से भी ऊपर होता है। लेकिन आज कल कुछ लोगों ने शिक्षा को व्यवसाय बना दिया है परन्तु फिर भी कभी- कभी ऐसे लोगों से भी मुलाकात हो जाती है जिन्होंने शिक्षक और गुरु पद की गरिमा को अभी भी बरकरार रखा हुआ है शायद इसीलिए आज भी शिक्षक को भविष्य निर्माता का दर्जा दिया जाता है। आज ऐसे ही शिक्षक से हम आपको रू-ब-रू करा रहे है जिन्होंने अपना पूर्ण जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया है। लेकिन इन्होंने शिक्षक से एक कदम और आगे बढते हुए लोगों को प्रेरित करने का भी कार्य किया। यही कदम उनके शिक्षक के स्वरूप के महत्व को और भी बढा देता है। जी हां हम बात कर रहे है सोनीपत सेक्टर 23 निवासी डॉ. जय प्रकाश दलाल (जे oपीo दलाल) dr jp dalal जी की। इनका जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के छारा गांव में मनफूल सिंह दलाल के घर में हुआ। पिताजी एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे तो शिक्षा की और इनका रूझान पहले से ही था। अपने पिताजी की परम्परा को जारी रखते हुए इन्होंने शिक्षा की तरफ ही अपने कदम बढाते हुए हिस्ट्री से एम ए किया। जिसमें यूजीसी नेट व जेआरएफ स्कॉलरशिप प्राप्त करते हुए अपनी पढाई जारी रखी और हिस्ट्री से ही पीएचडी की। इसके अलावा इंग्लिश से भी डॉ जेपी दलाल (dr jp dalal) जी ने एमए किया और बीएड की शिक्षा प्राप्त की।
छारा गांव में इनके परिवार की एक विशेष छाप है क्योंकि इनके अपने परिवार ने सेना/शिक्षा/चिकित्सा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
शिक्षा में रूचि थी तो जीवन साथी भी शिक्षा के क्षेत्र से ही चुना। जी हां डॉ. जेपी दलाल जी ने इंदू जी से शादी की। इंदू जी हाल में एक सरकारी लेक्चरार है तथा वह भी राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित सोनीपत के ख्याति प्राप्त प्रिंसिपल चौधरी राम मेहर छिक्कारा की सुपुत्री हैं।
डॉ साहब ने लगभग 14 वर्ष तक देश के अच्छे पब्लिक स्कूलों में अध्यापन/प्रशासन का कार्य किया तथा इनके पढ़ाये हुए छात्र आज देश ही नही अपितु विदेशों में भी बड़े ओहदों पर काम कर रहें हैं।
लगभग 8 वर्ष पहले ये सरकारी सेवा में आये तथा यहाँ आकर छात्रों के साथ -साथ अध्यापकों को भी प्रशिक्षण देना शुरू किया ।आज तक ये लगभग 10000 प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स को ट्रेंड कर चुके तथा लगभग 5000 दिल्ली सरकार के अध्यापकों को अपने ज्ञान से लाभान्वित कर चुके। डॉ साहब NCERT व SCERT दिल्ली के विषय विशेषज्ञ हैं तथा विभिन्न राष्ट्रीय /अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य वक्ता शिरकत करते रहते हैं।
गोहाना के प्रख्यात ओम पब्लिक स्कूल के ये फाउंडर प्राचार्य रहे तथा वहाँ के छात्र इनके मार्गदर्शन में अमेरिका के नासा तक गए। ये हमेशा अपने शिष्यों को आल राउंडर बनने पर जोर देते हैं।
डॉ साहब खुद स्कूल व कॉलेज के दिनों में शिक्षा के साथ खेल व मंच के कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं।
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इनके दो बेटे है जिसमें बड़ा बेटा शाश्वत दलाल नेशनल लेवल बेडमिंटन खिलाड़ी है तो छोटा बेटा रिषित दलाल अभी पढाई कर रहा है।
डॉ. जेपी दलाल का शिक्षा के प्रति समर्पण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जिंदगी में कभी ट्यूशन नही ली व समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनके उभरे । पर्यावरण रक्षा के लिए भी वह सैदव तैयार रहते हैं।
डॉ. जेपी दलाल जी की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज कई न्यूज चैनलों में शिक्षा और हिस्ट्री टॉपिक पर आयोजित कार्यक्रमों में उन्हें विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। अगर हम डॉ. दलाल जी को मिले सम्मान की बात करें तो डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम नेशनल अवॉर्ड, आचार्य चाणक्य शिक्षाविद् सम्मान, इंडियन लीजेंड अवॉर्ड,
नेशनल साईंस अवॉर्ड द्वारा लाईफ इम्पॉवरमेंट अवॉर्ड के अलावा भी कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. जेपी दलाल जी का मानना है कि दुनिया में सभी वस्तुएं ऐसी है जो बांटने से घटती है लेकिन इसका एक विपरीत उदाहरण देखने को मिलता है शिक्षा की दिशा में। शिक्षा और ज्ञान हमेशा बांटने से बढता है। यही कारण है कि उन्होंने शिक्षा को चुना। मानव जीवन का उद्देश्य हमेशा बांटना होना चाहिए। लेकिन शिक्षा ही एक मात्र ऐसा साधन है जिसे आप जितना बांटते हो उसमें उतनी बढ़ोतरी होती है।
समाज के लिए विशेष श्रद्धा
डॉ. जेपी दलाल जी का जाट समाज के लिए विशेष स्नेह व आदर झलकता है। इस संबंध में उनका कहना है कि मैंने इतिहास विषय से पीएचडी की है । तो मुझे पता है कि इतिहास में जाटों का कितना गौरवशाली स्थान रहा है लेकिन इस बात का थोडा दुख है कि आज वह गौरवशाली इतिहास कहीं धीरे धीरे खो रहा है। जिस पर सभी को विचार करना चाहिए। समाज को आगे ले जाने का हर संभव प्रयास डॉ जी करते नजर आते है यहीं कारण है कि वे हमेशा समाज से जुडे रहते है। इस संबंध में उनका विचार है कि कोई कितना भी बड़ा इंसान क्यों न बन जाए लेकिन हमेशा उसकी जड़े उसके समाज में होती है । यह नीति है कि अगर आप अपनी जड़ छोडते हो तो एक छोटा सा हवा का झोका भी आपको उखाड़ फैंकता है और अगर आपकी जड़ मजबूत है तो बड़ी से बड़ी आंधी भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाती । इसी लिए हर इंसान को अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। शायद यहीं कारण है कि ये महाराजा सूरजमल एजुकेशन ट्रस्ट के लाईफ टाईम मेंबर है और रोहतक की प्रख्यात जाट संस्थाओं के भी लाइफ टाइम मेंबर हैं। इसके अलावा भी समाज के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में समय समय पर भाग लेते रहते है।